संगीत परिवार में जन्मी जयपुर की शिल्पी माथुर का संगीत के क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है। इन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपनी मां श्रीमती प्रीति माथुर से पाई। शिल्पी आकाशवाणी की ‘ए’ ग्रेड कलाकार हैं। इन्हें वर्ष 1986 में सुर संगम द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संगीत प्रतियोगिता में ‘सुर श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1991 के लिए इनको राजस्थान की सर्वश्रेष्ठ कलाकार होने का सम्मान सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन द्वारा प्रदान किया गया। इन्होंने जयदेव, ओ पी नैयर, रवि, रविंद्र जैन आदि अनेक संगीत की महान हस्तियों के सामने अपनी गायन कला का प्रदर्शन कर उनसे सराहना प्राप्त की है। शिल्पी प्रसिद्ध टीवी सीरियल ‘सारेगामा’ की फाइनलिस्ट हैं। इसी सीरियल के सौंवें प्रकरण में गाने के लिए इन्हें पुनःआमंत्रित किया गया। शिल्पी माथुर ने हिंदी के अतिरिक्त राजस्थानी, संस्कृत, तमिल, पंजाबी आदि भाषाओं में भी गीत गाए हैं। शिल्पी ने दूरदर्शन के कई सीरियल में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है। संस्कृत सीरियल ‘गीतगोविंद में इन्हें पंडित विश्व मोहन भट्ट, श्री रोनू मजूमदार और श्री तरुण भट्टाचार्य जैसे प्रसिद्ध संगीतज्ञों के साथ काम करने का मौका मिला। इनके राजस्थानी लोक संगीत, भजन व ग़ज़लों के कई एल्बम निकल चुके हैं। इनके पहले एल्बम का विमोचन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने किया। दिल्ली की कंपनी एसएमडब्ल्यू द्वारा पुराने फिल्मी गीतों पर आधारित कई कार्यक्रमों की एक प्रमुख गायिका के रूप में ये भाग लेती आ रही हैं। इन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। देश विदेश में अपनी सुमधुर गायन प्रस्तुतियों से श्रोताओं के समक्ष अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाली शिल्पी माथुर का गाया हुआ ये गीत अवश्य सुनिए… Like करिए… Share करिए … और अपने विचार भी अवश्य लिखिए।
गीत–ये रात भी मेरी तरह अकेली है….
“घर पर रहें – घर पर सुनें”
हर रोज़ नए गाने
गीत – ये रात भी मेरी तरह अकेली है….
गायिका – शिल्पी माथुर (लखनऊ)
म्युज़िक अरेंजर – दीपक माथुर
संगीतकार – केवल कुमार
गीतकार – अशोक हमराही
धन्यवाद
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